...

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तेरी पायल की झंकार।
जब तुम खेतो के मेड़ों पर जाती अहिस्ता- अहिस्ता।
बसन्त बहार में बना के रस्ता।
झूमे फसल तुम्हें देखकर।
जब राग सुनाई पड़े कानों में उमड़ कर।
जब - जब देखें तुम्हे करे पुकार।
तेरी पायल की झंकार।।


चारु चन्द्र मुख, हिरनी जैसी काया।
कज्ज्वल नेत्र लिए घन, दिखता वो छाया।...