तेरी पायल की झंकार।
जब तुम खेतो के मेड़ों पर जाती अहिस्ता- अहिस्ता।
बसन्त बहार में बना के रस्ता।
झूमे फसल तुम्हें देखकर।
जब राग सुनाई पड़े कानों में उमड़ कर।
जब - जब देखें तुम्हे करे पुकार।
तेरी पायल की झंकार।।
चारु चन्द्र मुख, हिरनी जैसी काया।
कज्ज्वल नेत्र लिए घन, दिखता वो छाया।
समीर चले खेत खलिहानों में, गाल को छू जाए।
जब- जब देखें तुम्हें नभ पंछी, वो भी आकर्षित हो जाए।
देखें ऊपर से वो, लगावे हुंकार।
तेरी पायल की............।
सांझ ढले लेकिन तू ना ढले, यूं ही जवानी में।
सरोज छवि लिए हो तुम, कीच के पानी में।
उन्मद हो तुम इसी डगर पर, ओठ पर मुस्कान लेकर।
तुम्हें कुवलय कहूं या जल की रानी , एक नजर होकर।
देखें मनोज तो लगाने लगे, दिल से गुहार।
तेरी पायल................।
© writer manoj kumar❤️❤️🌹💐💐🖊️😊😊😊😊
बसन्त बहार में बना के रस्ता।
झूमे फसल तुम्हें देखकर।
जब राग सुनाई पड़े कानों में उमड़ कर।
जब - जब देखें तुम्हे करे पुकार।
तेरी पायल की झंकार।।
चारु चन्द्र मुख, हिरनी जैसी काया।
कज्ज्वल नेत्र लिए घन, दिखता वो छाया।
समीर चले खेत खलिहानों में, गाल को छू जाए।
जब- जब देखें तुम्हें नभ पंछी, वो भी आकर्षित हो जाए।
देखें ऊपर से वो, लगावे हुंकार।
तेरी पायल की............।
सांझ ढले लेकिन तू ना ढले, यूं ही जवानी में।
सरोज छवि लिए हो तुम, कीच के पानी में।
उन्मद हो तुम इसी डगर पर, ओठ पर मुस्कान लेकर।
तुम्हें कुवलय कहूं या जल की रानी , एक नजर होकर।
देखें मनोज तो लगाने लगे, दिल से गुहार।
तेरी पायल................।
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