"रिश्तों का महत्व"
रिश्तों में अंह को स्थान मत दीजिए
हर क्षण क्रोधित क्यो?कभी क्षमा भी
कीजिए।
स्वार्थ का परित्याग कर अपनों की
खुशियों को महत्व दीजिए।
पुत्र जब प्रिय हो सकता है तो बहू क्यों...
हर क्षण क्रोधित क्यो?कभी क्षमा भी
कीजिए।
स्वार्थ का परित्याग कर अपनों की
खुशियों को महत्व दीजिए।
पुत्र जब प्रिय हो सकता है तो बहू क्यों...