...

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बरसते बादलों से
बरसते बादलों से मैने पूछा,
की इतना क्यों बरस रहे हो ,
उसने भी गरज कर कहा,
तू भी तृष्णा से भरा रहा,
कितनी ही विरहा को सहा,
तुम्हे देख मैं कष्टमय हो रहा।
बादलों का टकराना मिलन का संकेत है,
मेरी बातों में न कोई संदेह है,
मेरे मिलने से प्रेमी मिलते अनेक हैं,
मेरा ये इरादा बड़ा ही नेक है।
बूंदे ये मेरी सबको भाती हैं,
मधुर जब यह विरहा गीत गातीं हैं,
देख उनको यह भी इठलाती हैं,
सबके मुख मुस्कान भर जाती हैं।
।।स्वाति।।
© Swati(zindagi ki boond)