...

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राजनीति
राजनीति के लंबे फ़लसफ़े मुझे नहीं मालूम..

लंबी तक़रीरों में हाथ तंग है अपना ..

ऊपर से ब्लड प्रेशर दिमाग में गर्मी के मौसम में दिखाता है डरावना सपना..

तुम्हारी वाक्-पटुता और लंबे लंबे व्याख्यानौ के भषम से जन्मा इतना-सा वाक्य ही मेरा तर्क है ...

कि मित्र और भाई में क्या फ़र्क़ है

दरअस्ल, हाथ और साथ का फ़र्क़ है..

मित्र का हाथ आए या ना आए भाई का साथ जीवन भर चलता जाए..

हाथ यानी राहुल
और साथ यानी मोदी

थामा हाथ तो राहुल को पाओगे,
मांगा साथ तो मोदी की गारंटी पाओगे।

धर्म जरूरी है या विकास
धर्म होगा तभी विकास को समझ पाओगे वर्ना जय श्री राम के नारे के बाद भी
भगवान के न हो पाओगे...

credited to My Husband

Nahin janti ki kaun ahat hoga kaun khush, jo bhi hai lekh acha laga to share kiya🙏