सफर ......
मैं चलती रहीं,
संभलती रहीं,
मैं गिरती रहीं,
बिखरती रहीं,
मैं रोई बहुत, चोट खाई बहुत
फिर भी राह में मुस्कुराई बहुत,
ये सीखा हैं मैंने कि कमज़ोर ना पड़ना,
वक्त सताएगा मगर हिम्मत से रहना,
मेरी कहानी है मुझको ही लिखना,
अब सोच लिया तो फिर पीछे क्या हटना,
जीतने की कोशिश तो चलती रहेगी,
सफर में निकल गए तो मुश्किलों से क्या डरना,
सपना देख लिया हैं तो बस पूरा है करना।।
संभलती रहीं,
मैं गिरती रहीं,
बिखरती रहीं,
मैं रोई बहुत, चोट खाई बहुत
फिर भी राह में मुस्कुराई बहुत,
ये सीखा हैं मैंने कि कमज़ोर ना पड़ना,
वक्त सताएगा मगर हिम्मत से रहना,
मेरी कहानी है मुझको ही लिखना,
अब सोच लिया तो फिर पीछे क्या हटना,
जीतने की कोशिश तो चलती रहेगी,
सफर में निकल गए तो मुश्किलों से क्या डरना,
सपना देख लिया हैं तो बस पूरा है करना।।