फर्क इंसान का
वो वर्दी वाला था इसलिए ,
धाक जमाते इज्जत न की उस इंसान की ,
बस फर्क इतना था !
उसके कपड़े मैले कुचैले ,
वो साफ खाकी वर्दी वाला,
पैसा उसके भी जेब के था,
बस फर्क इतना था ,
उस के मेहनत की कमाई ,
उसके जैसे मिट्टी से रंगी हुई ,
और इसके दूसरे के हाय से लूटे हुए ।
ड्राइवर वो भी है...
धाक जमाते इज्जत न की उस इंसान की ,
बस फर्क इतना था !
उसके कपड़े मैले कुचैले ,
वो साफ खाकी वर्दी वाला,
पैसा उसके भी जेब के था,
बस फर्क इतना था ,
उस के मेहनत की कमाई ,
उसके जैसे मिट्टी से रंगी हुई ,
और इसके दूसरे के हाय से लूटे हुए ।
ड्राइवर वो भी है...