...

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यादें
बिछड़ कर तुमसे एक भी रात चैन से सोया नही मैं
एक भी ऐसा दिन नही जिस दिन तुम्हें याद कर रोया नही मैं

तड़प बेवसी जिल्लत भरी जिंदगी जीते जीते थक गया मैं
तेरे बगैर आज तक कभी ख़ुशीयों से रूबरू हुआ नहीं मैं

स्वप्न देखा था जो संग संग जीने व संग संग मरने की
उन्हीं स्वप्नों की चीता जलता देख आराम से सोया रहा मैं

क़िस्से बेवफ़ाई के सुने थे हमनें भी कभी किसी के जुबां से
आज तुझे बेवफ़ा हो,ख़ुश देखा किसी गैर की बाहों में मैं

रोया तो बहुत हूँ इस दिल के टूटने के बाद यार मैं
पर खुश भी बहुत था जब तुमसे मोहब्बत किया था मैं