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मै ही गलत क्यों?
जानते हो ना तुम,
तुम सब जानते हो ना,
तो फिर ये बेरुखी किस बात की,
तुम जानते थे मेरी कोई गलती नही थी,
मैंने कुछ नही किया था,
तो फिर जो उन हैवानो ने मेरे साथ किया
उसके लिए मै गलत क्यों?
क्या मेरा घर से बाहर निकलना गलत था?
क्या मेरा पढाई करना गलत था?
या फिर मेरा कुछ कर दिखाने का जज़्बा गलत था?
नही ना।
तो फिर क्यों, मेरी ही गलती क्यूँ
कयूँ नही ये समाज उनसे जा कर पूछता,
कि मेरे जिस्म को छूने का अधिकार उनको किसने दिया,
मुझसे ही क्यों पूछा जाता है कि मैंने क्या किया था,
उनसे कोई क्यों नही पूछता कि उन्होंने मेरे साथ ऐसा क्यों किया,
और जो आप सब बोल रहे मेरी इज़्ज़त नही रही अब समाज मे,
तो ये अधिकार आपको किसने दिया मेरी इज़्ज़त मुझ्से छीनने का?
न मै गलत थी, न रहूँगी,
जिस वक़्त कृष्ण की तरह मेरा साथ देना चाहिए
उस वक़्त आप सब भीष्म की तरह आँखे बंद किये मौन बैठे रहे।।
© nisha
तुम सब जानते हो ना,
तो फिर ये बेरुखी किस बात की,
तुम जानते थे मेरी कोई गलती नही थी,
मैंने कुछ नही किया था,
तो फिर जो उन हैवानो ने मेरे साथ किया
उसके लिए मै गलत क्यों?
क्या मेरा घर से बाहर निकलना गलत था?
क्या मेरा पढाई करना गलत था?
या फिर मेरा कुछ कर दिखाने का जज़्बा गलत था?
नही ना।
तो फिर क्यों, मेरी ही गलती क्यूँ
कयूँ नही ये समाज उनसे जा कर पूछता,
कि मेरे जिस्म को छूने का अधिकार उनको किसने दिया,
मुझसे ही क्यों पूछा जाता है कि मैंने क्या किया था,
उनसे कोई क्यों नही पूछता कि उन्होंने मेरे साथ ऐसा क्यों किया,
और जो आप सब बोल रहे मेरी इज़्ज़त नही रही अब समाज मे,
तो ये अधिकार आपको किसने दिया मेरी इज़्ज़त मुझ्से छीनने का?
न मै गलत थी, न रहूँगी,
जिस वक़्त कृष्ण की तरह मेरा साथ देना चाहिए
उस वक़्त आप सब भीष्म की तरह आँखे बंद किये मौन बैठे रहे।।
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