...

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पहिले प्यार की बातचित
देखके उसकी अदा,
हो गया मैं फिदा,
चाहिए उसका साथ सदा,
फिर पार करने को हो कोई भी बाधा।

उसके लहराते बाल,
साथ में गुलाबी गाल,
काफी हैं पैदा करने को दिल में बवाल,
देख के उसे भूल जाता हू मैं जिंदगी के बड़े–बड़े सवाल।

पहनके काला चश्मा,
चबाते हुए सौफ,
चलती हैं वो बेखौफ,
जैसे मेरी ओर चलके आ रही हो तोफ।

उसके पायल की खन–खनाहट,
मेरे लिए है उसके आने की आहट,
है कैसी ये चाहत,
दिवसभर बसतो राव फक्त तिच्या कडे पाहत।

उसके आँखें नहीं है किसी काले जादू से कम,
रखती है मुझे मदहोश करने का दम,
लेकिन ठीक है; भुलाने को गम,
मुझे औरों की तरह पीने की जरूरत नहीं है रम।

उसके लाल अधर,
कर देते बेकाबू मुझे इस कदर,
हो जाता मेरा रोम–रोम खड़ा,
साथ मे हो जाता कुछ बड़ा,
जिसे काबू में रखना नहीं हैं मेरे लिए आसान,
क्युकी बोहोत दिनों से वो छूना चाहता है आसमान।

पहनती है वो टाइट फिटिंग सलवार,
लगती है उसमे वो एकदम दो धारी तलवार,
मेरी आंखें देख सकती है उसे आरपार,
अंदर से आवाज आती हैं की कर दे यलगार,
लेकिन रोख देते मुझे मेरे संस्कार।

आई वो मेरे जिंदगी में लेके बहार,
कर दिया उसने मेरा जीवन सवार,
बनाना चाहता हु में उसके साथ परिवार,
पर पता नही हैं कितनी आग है उस पार।

© Rohit Gotmare