ଶ୍ରୀଗୁରୁଙ୍କ ସ୍ୱରୂପ କିଛି ବି ହୋଇପାରେ.....
भजे तुलसी राम नाम रमे
फिर भी रत्ना की खूबसूरती भाये,
करे पार बाढ़ में भीषण नदी को
मृत सब को नाव बनाये.....
जा पहुंचे नगरी में
देखे तो दरवाजा खिड़की बंद होए
दिखे तो रस्सी लटके खिड़की पर
पकड़ के सांप की पूंछ को घर में खुद को प्रवेश कराएं.....
सोये रत्ना स्वः पलंग पर
तुलसी देखे तो मोहित होए,
जगाये जाकर “उठो प्रिये”
देखो तो तुम्हारी स्वामी आवे.....
जागे रत्ना उठ बैठे पलंग पर
अचंभित तनिक हो जावे,
पूछे चले...
फिर भी रत्ना की खूबसूरती भाये,
करे पार बाढ़ में भीषण नदी को
मृत सब को नाव बनाये.....
जा पहुंचे नगरी में
देखे तो दरवाजा खिड़की बंद होए
दिखे तो रस्सी लटके खिड़की पर
पकड़ के सांप की पूंछ को घर में खुद को प्रवेश कराएं.....
सोये रत्ना स्वः पलंग पर
तुलसी देखे तो मोहित होए,
जगाये जाकर “उठो प्रिये”
देखो तो तुम्हारी स्वामी आवे.....
जागे रत्ना उठ बैठे पलंग पर
अचंभित तनिक हो जावे,
पूछे चले...