...

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#मयख़ाने
#मयखाने
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
एक तू ही नही लगता अजनबी दोस्त
सारे शहर ही लगते अब अनजाने हैं

अपने भी लगते अब अज़नबी यहां
यह शहर भी बड़ा रंगरेज लगता है
रूठे सपने रूठे अपने सब
रूठा सारा फ़साना लगता है



मीना गोपाल त्रिपाठी
12 / 11 / 2022