...

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ek raat thi
रोया उस रात
जब खंजर मेरे हाथ थी
सर पे बोझ
और दिल मै अजीब शोर था
टूटी किस्मत
और हौसला बेकार था
काली रात
और नींदें बेहसाब था
रोया उस रात
जिस मै जुनूनी बरसात था
रोया उस रात था
जब खंजर मेरे हाथ था

काली सी चादर लाल थी
लोगो को खून का एहसास था
मै चलता रहा जो पूरी रात थी।
समंदर मै किनारे की आस थी
और रोता हुआ सक्स मै आस थी
कोई लगा के गले बस इतनी आस थी

© rsoy