...

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तुम मेरी....
तुम कभी मेरी ख्वाहिश नहीं थी,
क्योंकि ख्वाहिश पूरी हो जाए तो तलब नहीं रहती

तुम कभी मेरी आदत नहीं थी, क्योंकि आदत वक्त के साथ बदल जाता है

तुम मेरी दुनिया नहीं हो, क्योंकि दुनिया भी एक दिन खत्म हो जानी है

तुम मेरी जरूरत नहीं हो, क्योंकि जरुरत के समय जुबान मीठा और...