कहलाते हैं परिंदे प्यार के
तोड़कर बंधन छोड़कर क्रंदन,
धारणा है स्वच्छंद विचार के।
खिजां में भी हँसते गुलाब सा,
अनुभूति हो बसंत बहार के।
पल दो पल की ख़ुशी के लिए,
अपना सम्पूर्ण जीवन वार के।
मदमस्त मतवाले चिंतारहित,
कहलाते हैं परिंदे प्यार के।
उन्मुक्त गगन की आकांक्षा,
व्याधियों की नज़रों से ...