!...चेहरे पर चेहरा...!
एड़ी रगड़ी, चेहरा रगड़ी, ना रगड़ी कभी मन का अपने
देखन दुनिया तब हम जानी, कौनो नाही धन के अपने
पव्वा पी मदारी नाचे, जोगी नाचे ता ता थय्या
तन की मीरा जग का भावे, मन का ज्ञानी रहे अकेले
तन का मुश्क भगाए मन, मन का...
देखन दुनिया तब हम जानी, कौनो नाही धन के अपने
पव्वा पी मदारी नाचे, जोगी नाचे ता ता थय्या
तन की मीरा जग का भावे, मन का ज्ञानी रहे अकेले
तन का मुश्क भगाए मन, मन का...