...

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कैफियत-ए-हयात
शब-ए-मह-ए-कामिल देखें एक अरसा हुआ,
सदाक़त-ए-इश्क़ का कहा किसी के सामने चर्चा हुआ!
अपनी कैफियत-ए-हयात का कुछ यूं अफसाना हैं,
कि बीच मझधार में फंसी अपनी नाव का ना कोई खेवैया हुआ !
© Av