ग़ज़ल
कुछ सपनों को पलने दे
अरमाँ और मचलने दे
मय और मैं दोनों होंगे
पहले ये दिन ढलने दे
यूँ बेसब्री ठीक नहीं
देख शमा तो जलने दे
बात कई करनी बाकी
धड़कन ज़रा सँभलने दे
याद रहे हर लम्हा 'दीप'
दिल से आह निकलने दे
© दीp
अरमाँ और मचलने दे
मय और मैं दोनों होंगे
पहले ये दिन ढलने दे
यूँ बेसब्री ठीक नहीं
देख शमा तो जलने दे
बात कई करनी बाकी
धड़कन ज़रा सँभलने दे
याद रहे हर लम्हा 'दीप'
दिल से आह निकलने दे
© दीp
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