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जंग लगी तलवार हूँ
माना कि मैं जंग लगी तलवार हूं,
फिर भी मैं जंग के लिए तैयार हूं,
हो सकता है धार तेज ना हो मेरी,
लेकिन मैं अब हौसलों पर सवार हूं।।
माना जीत है मुझसे कुछ रूठी हुई,
और हार का मैं रहा घनिष्ठ यार हूं,
तोड़ने जा रहा हूं रिश्ता इस हार से,
मै जीतने के लिए फिर से तैयार हूं।।
विपरीत था मेरे से जो भाग्य अब तक
करने मैं जा रहा उसका साक्षत्कार हूं,
टूटेगा आज दुर्भाग्य का ये पहाड़ भी,
मैं कर्मवीर लौखंड की ऐसी मार हूं।।
© Dhruv
फिर भी मैं जंग के लिए तैयार हूं,
हो सकता है धार तेज ना हो मेरी,
लेकिन मैं अब हौसलों पर सवार हूं।।
माना जीत है मुझसे कुछ रूठी हुई,
और हार का मैं रहा घनिष्ठ यार हूं,
तोड़ने जा रहा हूं रिश्ता इस हार से,
मै जीतने के लिए फिर से तैयार हूं।।
विपरीत था मेरे से जो भाग्य अब तक
करने मैं जा रहा उसका साक्षत्कार हूं,
टूटेगा आज दुर्भाग्य का ये पहाड़ भी,
मैं कर्मवीर लौखंड की ऐसी मार हूं।।
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