माता पिता का जीवन....
एक पिता जिसने अपनी सारी खुशियां
त्याग दी दो बच्चों को पालने में।
और खुद कभी भी संभल ना पाया उनके लड़खड़ाते कदम संभालने में।
वो पिता आज वृद्धाश्रम में बैठे हैं और प्रतीक्षा कर रहें हैं कि वो आएंगे।
शायद अपने बचपन को याद कर उन्हें फिर से सहारा दे अपने घर ले जाएंगे।
बेटों ने कह दिया आपको सलीका नहीं अपनी बहुओं के साथ रहने का।
जिन पर लुटा दी अपनी पूरी कमाई उन्होंने
कर दिया हिसाब खाने पीने का।
एक मां जो दोनों को सीने से लगा कर कहती थी कभी मुझसे दूर ना होना।...
त्याग दी दो बच्चों को पालने में।
और खुद कभी भी संभल ना पाया उनके लड़खड़ाते कदम संभालने में।
वो पिता आज वृद्धाश्रम में बैठे हैं और प्रतीक्षा कर रहें हैं कि वो आएंगे।
शायद अपने बचपन को याद कर उन्हें फिर से सहारा दे अपने घर ले जाएंगे।
बेटों ने कह दिया आपको सलीका नहीं अपनी बहुओं के साथ रहने का।
जिन पर लुटा दी अपनी पूरी कमाई उन्होंने
कर दिया हिसाब खाने पीने का।
एक मां जो दोनों को सीने से लगा कर कहती थी कभी मुझसे दूर ना होना।...