हज़ार
हज़ार बन गए।
दिल यहाँ जार कर गए।
देकर दिया हक,
हर समां निसार कर गए।
हज़ार थे जहाँ,
देकर,सब्र उसे अपना दुख ईकाई...
दिल यहाँ जार कर गए।
देकर दिया हक,
हर समां निसार कर गए।
हज़ार थे जहाँ,
देकर,सब्र उसे अपना दुख ईकाई...