नहीं चाहते
अब आगे कुछ कहना नहीं चाहते।
तुमसे कभी मिलना नहीं चाहते।
हम तुम्हारा यकीन कैसे कर ले,
तुम हो की बदलना नहीं चाहते।
मेरी वफा को तुमने नहीं समझा,
मगर हम यकीन दिलाना नहीं चाहते।
हमारे भी मुह में जुबान है यै दोस्त,
मगर हम शरीफ है झगड़ा नहीं चाहते।
जी हजूरी अब...
तुमसे कभी मिलना नहीं चाहते।
हम तुम्हारा यकीन कैसे कर ले,
तुम हो की बदलना नहीं चाहते।
मेरी वफा को तुमने नहीं समझा,
मगर हम यकीन दिलाना नहीं चाहते।
हमारे भी मुह में जुबान है यै दोस्त,
मगर हम शरीफ है झगड़ा नहीं चाहते।
जी हजूरी अब...