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ये तन्हाइयाँ
ये तन्हाइयाँ
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दिल की नादानियाँ
शब आँखों आखों में गुज़ारी
अश्क ज़ार ज़ार बहे
नज़रें थीं इन्तेज़ार में
कहती कहानियाँ

चाँदनी रातों में
तुझको निहारा
पल भर भी तुझ बिन रह न पाया
अंधियारे में भी तेरा सहारा
तेरी मेहरबानियाँ

सागर की गहराई में
तुझको ढूंढा बहुत
उसकी धारा में बहता रहा
अब किनारे पे गुज़री
ये ज़िन्दगानियाँ

सोते जगते है तेरा ख़याल
ख्वाब में भी है तुझसे सवाल
कब सवेरा हुआ
कब अंधेरे ने घेरा मुझे...