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#महारथी_कर्ण
प्रवंचित हूं, नियति की दृष्टी में दोषी बड़ा हूं,
विधाता से किए विद्रोह जीवन में खड़ा हूं!
स्वयं भगवान मेरे शत्रु को लेके चल रहे है,
अनेकों भांति से गोविंद मुझको छल रहे है!
मगर राधेय का स्यंदन नहीं तब भी रुकेगा,
नहीं गोविंद को भी युद्ध में मस्तक झुकेगा!
बताऊंगा उन्हें मैं आज नर धर्म क्या है,
समर कहते किसे है और जय का मर्म क्या है!
-दानवीर कर्ण