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सच्चा प्रेम क़भी नहीं मरता
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
बरसों सें सजनी क़ा इंतजार कर रहा
हैं प्रेमी, प्रीत पिया बिन अधूरी हैं
क़ब सें समझा रहा हैं क़ोई
दुनिया जुदा करने क़ो आतुर हुई
सच्चे प्रेम में देने पड़तें हैं इम्तिहान
कई फ़िर भी हार नहीं मानता प्रेम
क्योंकि दूरिया क़ब मिटा पाई है सच्चे
प्रेम को गहरे अटूट प्रेम के बंधन से
दूरिया भी मिट जाती हैं दुनिया हार जाती
हैं सच्चे प्रेम क़े आगे बस हारता नहीं कभी
प्रेम क्योंकि प्रेम मे रूह हो जाती है एक
फिर आख़री सांस तक भी खत्म नहीं
होता है निस्वार्थ प्रेम
© Purnima rai