...

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दुआ
वो तेरे सिवा किसी औऱ को सोचे न ।
या खुदा उसे इतना तू मजबूर कर दे।

जिसके लिए वो तरसता रहा उम्र भर।
उसकी झोली में भी ऐसा नूर भर दे।

इंसान में इंसानियत औऱ मानवता हो।
तू कुछ ऐसा ही दस्तूर कर दे।

हर इंसा खुश रहे दुख से न पाला हो
उसकी जिंदगी से सदा गम को दूर कर दे।

अंधेरों से गुजर रहे जो सदियों से "अर्जुन"।
या मौला उनकी राहों में उजाला भरपूर कर दे।

© अर्जुन इलाहाबादी