...

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Anamika (gazal)
आज उन गलियों में
फिर आना जाना हुआ
जिसमे में अक्सर आया
जाया करता था लोग
अनजान थे गालियां विरान
थी सिर्फ एक शक्स था
जिसे मेरी पहचान थी
उसकी आंखों में अजब
सा नूर था कितने हुस्न
वालों का घमंड उसके
सामने चुर चूर थ
वो झुल्फें सवार रहीं
मैं चांद को बुला रहा
था वो अपनी खूबसूरती
दिखाकर चांद को रुला
रहीं थी
वो ठरी हुस्न की मल्लिका
मै ठ रा गरीब फ़कीर
वो हुस्न कि थी अमीर
मैं दिल का था रईस
शायद खुदा ने उस
जैसा बनाया एक peice
वो सड़क के उस और...