...

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#सड़क
#सड़क
आधा सड़क सरकार का,
आधा सड़क निर्माणकार का;
आधा सड़क बेघर यार का,
ऐसे दिवाने हुए हम,
हमे होने लगा इकरार सा,
और तुम्हे होने लगा इंकार सा,
इसलिए मैं ना कर सका ऐतबार सा,
सिर्फ दीदार हुआ तेरे प्यार का,
अब ठिकाना नहीं है घर- बार का,
ना रहा इस संसार का,
हो गया बेकार सा,
दर्द बन के रह गया एक बहार सा,
रह गए काम के सिर्फ मयेखाने
आँसू लगे आने जाने,
गम से भर गए मेरे पैमाने,
क्युंकि तुम ना रहे साथ निभाने,
हम बन गए तेरी याद में दिवाने........
© Glory of Epistle