...

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तुम, तुम क्यूँ तुम हो ?
तुम, तुम क्यूँ तुम हो ?
तुमसे इतना प्यार क्यों है?
तुमसे पहले किसीसे क्यों नहीं हुआ?
तुम्हारे लिए मेरा एहसास क्यों ऐसा है?
तुम, तुम क्यूँ तुम हो ?

तुम क्यों सबसे अच्छे लगते हो?
क्यों अपना लगते हो ?
सुनो,
तुम, तुम क्यूँ तुम हो ?
हर जगह तुम क्यूँ हो ?
तुम्हारे जैसा क्यूँ लगता है सब ?
तुम वह खुदा हो क्या ?

मुझसे जुड़े हो क्या तुम ?
इतना करीब क्यों लगते हो ?
आँखें बंद करूं तो तुम दीखते हो।
तुम, तुम क्यूँ तुम हो ?
क्यों सबसे अलग हो?
ये मोहब्बत है क्या मेरी ?

तुम क्यों अजीब हो ?
सच में तुम अजीब हो ।
तुम, तुम क्यूँ तुम हो ?
सुनो,
ऐसा लगता है तुम ब्रम्हांड हो।
मेरे दुनिया हो।
तुम्हारे अंदर ही मैं हूँ।

तुम मेरा घर हो।
तुम जन्नत हो।
पता है तुम आसमान हो।
मेरे प्रत्येक शब्द में हो।
तुम मोहब्बत से ज्यादा हो।
मुझे तो लगता है "मैं" तुम हो।
तुम, तुम क्यूँ तुम हो ?
© dikshya