...

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बेवफा
तेरी गलियों ने भी मुझे पराया कर दिया
ये बेरुखी भी जाने किस बात पर है

मुझे लगा कि मुझसे रुठी हुई है
मगर वो रक़ीब के साथ कोल पर है

मैं तो उसके साथ दो पल बिता कर खुद को
खुशनसीब समझता था
वो तो उसके साथ रात भर है
मैं तो अपनी खुशीयां खो चुका हूँ
उसके होठों पे मुस्कान जाने किस बात पर


दिल जल रहा था मेरा
पूछती है मौसम गरम किस बात पर है
मेरा हाथ थाम कर वादा मत करना
उसका नाम बता जिसके साथ रात भर है

मैंने अपनी पूरी जिंदगी उसके पीछे बर्बाद कर ली
पूछती है ये जो नुकसान हुआ है किस बात पर है

मोहब्बत का भी करोबार कर दिया
लगता है तू किसी दुकान पर है
बेवफाई करके तुने
कितने ही मां के लाल
की जिंदगी बर्बाद कर दी

अब तो फिर किसी नये शिकार पर है



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