...

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mehkti saam
अरसों बाद एक ऐसी शाम होगी

जब तुम कहीं और होगे
और मैं कहीं और
हमारे दरमियां
ढलता सूरज

लौटते हुए पंछी
घरों को लौटते राहगीर
खामोशी का आलम
सब होंगे।

बस तुम कहीं और
और मैं कहीं और
ढलती शाम होगी
खोती दिशाएं होंगी

फूलों का मुरझाना
हल्के सितारों का खिलना
सूरज का ढ़लना
चांद का निकलना

सब होंगे
बस तुम कहीं और
और मैं कहीं और..

अरसो बाद एक ऐसी शाम होगी…

Bless Evening 🌺🌹🪻