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hausala.
"हौंसला"। जो यह बताता है की परिस्थित कैसी भी हो व्यक्ति को अपनी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। शरीर में जान होने तक अपने धेय के लिए संघर्ष करना चाहिए। हार जीत अपने हाथ में नहीं होती पर सौ फीसदी प्रयास अपने हाँथ में होता है। सफलता का सूत्र भी यही है "लक्ष्य निर्धारित करें ,और सफल होने तक बिना रुके बिना थके प्रयास करतें रहें। आगे पंक्तियों में -

तेरा ये शहर जालिम है ,मेरे दिलदार सुनले तू।
रहा हमराज मेरा भी,सरे बाजार होने तक।

फिकर ना कर तू मेरी ,जी भी लूंगा जिंदगी अपनी।
कि बेचूंगा पुराना गम ,नया बाजार होने तक।

जीवन हो गया पूरा ,न जीने का मेरा मन है।
मगर जीना पड़ेगा ,लगता है बेकार होने तक।

बड़ा तूफान आया था ,बड़ी आँधी चली लेकिन।
वो सांखे लड़ के जीती हैं,गुले गुलजार होने तक।

गलत तू सोचता है की ,रहम की भीख मांगूगा।
लडूंगा हाँथ में अंतिम बचे ,औजार होने तक।

तेरी तरकश में कितने तीर हैं ,ये जानता हूँ मै।
रहूँगा मौन लेकिन मै ,तेरी हुंकार होने तक।

अगर दम देखना है तो, आके देख ले एक बार।
पटखता हूँ लगा के दम ,मै एक से चार होने तक।

तेरा मलबा गिरेगा ,भरभराकर इस जमीं पर ही।
ये रुतबा थाम ले तू भी ,जमी दो चार होने तक।
© Navneet Kumar mishra
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