...

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गुफ़्तार
दिल ही तो है दिल मे नाम लिख रक्खा है
तुम क्या जानो इसको कैसे संभाल रक्खा है
जिस जिस ने गुफ़्तार की है तुमसे
उन सब ने तुम्हें अपना मान रक्खा है
इस बात से खफा है हम
मेरे अलावा और किसे कैद कर रक्खा है
© बावरामन " शाख"