इन्तेजार..
अब हमारे दिल में खाली मकॉ नही.
अब कोई भी यहा पर रहता नही.
जो भी गुजरे यहा से वीरान कर गए.
अब इसे तामीर करने का मुझ में होशला भी नही.
शिकायतें बहुत हैं खुद से मगर खुद से लड़ने का अब होशला भी नही.
नजरे बिछाए हुए बैठे हैं दिल की दहलिज पर.
मगर वो कब आएगे ये दिल को पता भी नहीं.
Arshalan..
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अब कोई भी यहा पर रहता नही.
जो भी गुजरे यहा से वीरान कर गए.
अब इसे तामीर करने का मुझ में होशला भी नही.
शिकायतें बहुत हैं खुद से मगर खुद से लड़ने का अब होशला भी नही.
नजरे बिछाए हुए बैठे हैं दिल की दहलिज पर.
मगर वो कब आएगे ये दिल को पता भी नहीं.
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