दम है 🙃
स्टाइल की कसम है, लोगों की बेरुखी कि गम है,
मैं बेहतर नहीं हूं, ये लोगों का भरम है,
यूं तो हैं यहां हजारों, मगर मेरे Style में दम है...
मैं गुमनाम हूं जऱा सा, मैं बदनाम हूं जऱा सा,
वक्त ने ठोकर दी ऐसी, गिर के संभला हूं जऱा सा,
मैं रूकूं-चलूं, गिरूं-संभलूं, ये मेरा करम है,
यूं तो हैं यहां हजारों, मगर मेरे Style में दम है...
कोई समझौता ना करुं, नहीं हूं इतना बेरहम,
खुद पे नाज़ ना करूं, नहीं हूं इतना बेशरम,
मेरे ख्वाब, मेरी चाहत, मेरी शान-ओ-शरम है,
यूं तो हैं यहां हजारों, मगर मेरे Style में दम है...
मैं सिकंदर तो नहीं हूं, मैं सुलतान भी नहीं हूं,
मुझपे करना ना मेजबानी, मैं नादान भी नहीं हूं,
मेरी शख्सियत है जो भी, ये खुदा का रहम है,
यूं तो हैं यहां हजारों, मगर मेरे Style में दम है...
माना दुनियां एक है पर, हम सबकी अलग है,
मैं जो तुमसा नहीं हूं, मेरी फितरत अलग है,
मेरी मंजिल मेरा सनम, मेरा मुकाम हमदम है,
यूं तो हैं यहां हजारों, मगर मेरे Style में दम है...
चार दीवारों का घर, चार दिन की चांदनी,
चार लोगों का ड़र, चार दिन की जिन्दगी,
चारों दिशाओं में हो चर्चा, ये मेरा अहम है,
यूं तो हैं यहां हजारों मगर मेरे Style में दम है...
हर दिन आख़री है, मेरी जिंदगी का,
या खुदा मैं ही हूं, मेरी बंदगी का,
मेरे सजदे-दुआ में, मेरा सिर कलम है,
यूं तो हैं यहां हजारों, मगर मेरे Style में दम है...
स्टाइल की कसम है, लोगों की बेरुखी कि गम है,
मैं बेहतर नहीं हूं, ये लोगों का भरम है,
यूं तो हैं यहां हजारों, मगर मेरे Style में दम है...
मैं बेहतर नहीं हूं, ये लोगों का भरम है,
यूं तो हैं यहां हजारों, मगर मेरे Style में दम है...
मैं गुमनाम हूं जऱा सा, मैं बदनाम हूं जऱा सा,
वक्त ने ठोकर दी ऐसी, गिर के संभला हूं जऱा सा,
मैं रूकूं-चलूं, गिरूं-संभलूं, ये मेरा करम है,
यूं तो हैं यहां हजारों, मगर मेरे Style में दम है...
कोई समझौता ना करुं, नहीं हूं इतना बेरहम,
खुद पे नाज़ ना करूं, नहीं हूं इतना बेशरम,
मेरे ख्वाब, मेरी चाहत, मेरी शान-ओ-शरम है,
यूं तो हैं यहां हजारों, मगर मेरे Style में दम है...
मैं सिकंदर तो नहीं हूं, मैं सुलतान भी नहीं हूं,
मुझपे करना ना मेजबानी, मैं नादान भी नहीं हूं,
मेरी शख्सियत है जो भी, ये खुदा का रहम है,
यूं तो हैं यहां हजारों, मगर मेरे Style में दम है...
माना दुनियां एक है पर, हम सबकी अलग है,
मैं जो तुमसा नहीं हूं, मेरी फितरत अलग है,
मेरी मंजिल मेरा सनम, मेरा मुकाम हमदम है,
यूं तो हैं यहां हजारों, मगर मेरे Style में दम है...
चार दीवारों का घर, चार दिन की चांदनी,
चार लोगों का ड़र, चार दिन की जिन्दगी,
चारों दिशाओं में हो चर्चा, ये मेरा अहम है,
यूं तो हैं यहां हजारों मगर मेरे Style में दम है...
हर दिन आख़री है, मेरी जिंदगी का,
या खुदा मैं ही हूं, मेरी बंदगी का,
मेरे सजदे-दुआ में, मेरा सिर कलम है,
यूं तो हैं यहां हजारों, मगर मेरे Style में दम है...
स्टाइल की कसम है, लोगों की बेरुखी कि गम है,
मैं बेहतर नहीं हूं, ये लोगों का भरम है,
यूं तो हैं यहां हजारों, मगर मेरे Style में दम है...