...

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कोई और भी है...
"अपने दिलो-दिमाग में
जैसा और जितना प्रेम
मैं रोज जीता हूँ,
अगर उसका दसवां हिस्सा भी
हकीकत हो जाये..."

आज बस यही सोच
मन-ही-मन रो गया
कि मैं कितना अभागा हूँ...
फिर गुस्से में
ईश्वर से पूछ, गिड़गिड़ाता रहा
कि आखिर मुझसे इतनी नफ़रत क्यों?

पर जब थोड़ी देर में 
दिल हल्का हुआ,
तो एक ख्याल आया
की मेरे सपने का जो मैं हूँ 
वो 'एक अच्छा
और सच्चा प्रेमी' के आलावा
एक हवसी,
एक जानवर भी तो है!
अगर सबके सारे सपनें
सच हो जाये,
ये समाज कितना बर्बर
और ये जिंदगी कितनी नर्क हो जाये!

फिर मैंने ईश्वर से कहा
हे भगवन!🙏
मेरे दिलो दिमाग में जो ख्याल है,
उसे ख्याल ही रहने दो।
© prabhat