होली
#WritcoPoetryDay
वर्षो पहले शुरू प्रथा फिर दौराई है।
लेके हजारों रंग आज फिर होली आई है ।।
मिलने अपने प्रिय से उपवन गोरी आई है ।
थाल सजा रंगो का अंग अंग रगने आई है ।।
लाल, गुलाबी, पीले, नीले बिखरे रंग दिशाओं में ।
मौसम का कस्तूरी रंग भी घूमे मन की विधाओं में।
लदे हुए है ...
वर्षो पहले शुरू प्रथा फिर दौराई है।
लेके हजारों रंग आज फिर होली आई है ।।
मिलने अपने प्रिय से उपवन गोरी आई है ।
थाल सजा रंगो का अंग अंग रगने आई है ।।
लाल, गुलाबी, पीले, नीले बिखरे रंग दिशाओं में ।
मौसम का कस्तूरी रंग भी घूमे मन की विधाओं में।
लदे हुए है ...