...

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होली
#WritcoPoetryDay
वर्षो पहले शुरू प्रथा फिर दौराई है।
लेके हजारों रंग आज फिर होली आई है ।।
मिलने अपने प्रिय से उपवन गोरी आई है ।
थाल सजा रंगो का अंग अंग रगने आई है ।।

लाल, गुलाबी, पीले, नीले बिखरे रंग दिशाओं में ।
मौसम का कस्तूरी रंग भी घूमे मन की विधाओं में।
लदे हुए है पेड़ फलों से , उपवन महक बड़ी भारी ।
नव दुल्हन सी सजी नारिया, लहंगा चोली अंग डाली ।
कंसारी का सुंदर मधुवन , नित प्रीतिदिन तो भाता ।
किंतु होली का चाव , सभी को यहां खीच ले आता है ।
नंदगांव से आकर टोली , बरसाने धूम मचाती है ।
वृषभान की ऊंची अटारी ,मन को अधिक हर्षाती है।
भर पिचकारी अंग अंग मारे , हर ग्वाला हर ग्वालैन।
यह सुखद समाचार ले फागण धूम मचाई है ।
लेके हजारों रंग आज फिर होली आई है।






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