...

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आजाद पंछी
वह आजाद पंछी थी मिली और उड़ गई
मै बंद पिंजरे की मैना उससे घुल मिल गई
वो रोज नये सपने जाने कहा से बीन लाती
मुझे पता नहीं था मेरे भी पँख है वो बतलाती
वो ज़ब मिली थी बहुत उदास थी
मुझे पता था वो बहुत...