मैंने तुमसे सीखा है
नहीं, ये जीवन बस प्रेमगीत नहीं
ये अनचाहे कुछ पलों का मेला भी है
कुछ शोर भी है, कुछ संगीत भी है
कुछ धड़कन है, कुछ प्रीत भी है
तुम इस जीवन का लक्षण हो
तुम मार्ग नहीं, तुम साथी हो
तुम नहीं कोई मन्ज़िल, हमराही हो
तुम आए तो समझ आई ये बातें सारी
तुमसे पहले ये बातें झूठी थीं सारी
मन का मंदिर हो जाना
सब...
ये अनचाहे कुछ पलों का मेला भी है
कुछ शोर भी है, कुछ संगीत भी है
कुछ धड़कन है, कुछ प्रीत भी है
तुम इस जीवन का लक्षण हो
तुम मार्ग नहीं, तुम साथी हो
तुम नहीं कोई मन्ज़िल, हमराही हो
तुम आए तो समझ आई ये बातें सारी
तुमसे पहले ये बातें झूठी थीं सारी
मन का मंदिर हो जाना
सब...