The Fictional Universe
कड़ाके की गर्मी में एक दिन
मैं बिन बादल बरसात से टकराया था।
ज़िन्दगी की इस भागगड़ में एक दिन
मैं एक अजीब माणूस से टकराया था।
वो बोले "अतरंगी हैं तू और तेरे ये तरीकें
चल अभी यही बैठकर बंटवारा कर ले ।
मैं ठहरा भोला, मासूम और बिलकुल नादान
तो पूछा उनसे "किस किस का बंटवारा करले?
वो हंस के बोले, रे मुर्ख!
चल सब कुछ बाँट लेते हैं।
जिस ज़मीन को मैं ने उपजाऊ बनाया वो मेरा
जिस धरती को तूने खंडहर बनाया...
मैं बिन बादल बरसात से टकराया था।
ज़िन्दगी की इस भागगड़ में एक दिन
मैं एक अजीब माणूस से टकराया था।
वो बोले "अतरंगी हैं तू और तेरे ये तरीकें
चल अभी यही बैठकर बंटवारा कर ले ।
मैं ठहरा भोला, मासूम और बिलकुल नादान
तो पूछा उनसे "किस किस का बंटवारा करले?
वो हंस के बोले, रे मुर्ख!
चल सब कुछ बाँट लेते हैं।
जिस ज़मीन को मैं ने उपजाऊ बनाया वो मेरा
जिस धरती को तूने खंडहर बनाया...