...

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ग़ज़ल


किसी की बातें ख़ंजर बन के जिगर चीर जाती हैं,
किसी की यादें हैं कि रूह को सुकून दे जाती हैं।

हम भी उसी रहगुज़र के मुसाफ़िर बन गए,
जहाँ हर इक मंज़िल हमें आप तक ले जाती है।

शायद ये मुहब्बत है, मगर इज़हार ना कर पाएंगे,
पर अधूरी दास्तां को...