बेटी की बलि चढ़ाएगी तो बहू कहाँ से लाएगी
एक रात मासूम परी ने, अपनी माँ का हृदय टटोली,
सपने में आकर अपनी माँ से, करुण स्वर में बोली।
माँ मुझे भी तो जीना है, मुझे तुम क्यों भगाती हो,
ममता की इस राह में, मेरी बली क्यों चढ़ाती हो।
मैं इक नन्हीं सी जान, तेरे कलेजे का टुकड़ा हूँ माँ,
मुझे इस दुनिया में लाने से, क्यों तुम घबराती हो।
हर माँ अगर अपनी बेटी की, यूँ ही बली चढ़ाएगी,
तो अपने बेटे के लिए फिर वो, बहू कहाँ से लाएगी।
लज्जित हुआ इंसान धरा पर, इंसानियत लाचार हुई,
अपने हाथों सुता हत्या कर, इंसानियत शर्मशार हुई।
माताएँ गर्भ को खर्व करे, पौराणिक काल नियम होता,
तब माँ तुम भी नहीं होती, तुम्हारा जन्म भी नहीं होता।
प्रकृति विरुद्ध नियम करके, क्यों भ्रूणहत्या करवाती हो,
तुम्हारा दिल नहीं रोता, जब धरती से सृष्टि मिटाती हो।
© 🙏🌹 मधुकर 🌹🙏