Dilakash bevapha
Dilakash bevapha
वो इतना कातिल ना होता या मैं इतना नाजुक ना होता
वो दिलकश बेवफा नहीं होता या मैं शायर ना होता
ना ये दर्द गम की स्याही से सफेद सफों पे बिखरते
ना ये अश्क मचले हो ते ना ये तड़प के निकले हो ते
वो ना इतना हसीन होता बस कि देखते ही दिल आता
वो इतना कातिल ना होता या मैं इतना नाजुक ना होता
रहते सदा अंधेरे ही अंधेरे दिल जलाने को उजाले ना आते
या तो इस तरह जुदा ना...
वो इतना कातिल ना होता या मैं इतना नाजुक ना होता
वो दिलकश बेवफा नहीं होता या मैं शायर ना होता
ना ये दर्द गम की स्याही से सफेद सफों पे बिखरते
ना ये अश्क मचले हो ते ना ये तड़प के निकले हो ते
वो ना इतना हसीन होता बस कि देखते ही दिल आता
वो इतना कातिल ना होता या मैं इतना नाजुक ना होता
रहते सदा अंधेरे ही अंधेरे दिल जलाने को उजाले ना आते
या तो इस तरह जुदा ना...