...

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संविधान
परचम अलग है,
निशान अलग है,
पूजा अलग है,
अज़ान अलग है,
न कोई जात,
न कोई धर्म,
अरे साहब हमारी,
पहचान अलग है,
एक तरफ़ हम दोनों,
उधर सारी दुनिया,
फिर भी ,
इस गठबंधन की ,
शान अलग है,
बांट सकती नहीं,
कोई सियासत हमें,
इश्क की,
संसद अलग है,
संविधान अलग है।
- राजेश वर्मा
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