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मैं तेरा शुकराना करूँ...
तुम्हें मैं ज़मीं का आसमां कहूँ
या खुद को तेरा निशां कहूँ
तुम्हें टिमटिमाता कोई तारा कहूँ
या जहां अपना सारा कहूँ
तुम्हें खुदा कहूँ या कहूँ पैगम्बर
या फिर नदी का अनंत समंदर
तेरी हर नेमत, तेरी दी हर सांस का
आख़िर ऐसा क्या नज़राना करूं
दुनिया में उतने लफ्ज़ ही नहीं
जिनसे बा-अदब़ मैं तेरा शुकराना करूँ...
© Gauri_🎶
या खुद को तेरा निशां कहूँ
तुम्हें टिमटिमाता कोई तारा कहूँ
या जहां अपना सारा कहूँ
तुम्हें खुदा कहूँ या कहूँ पैगम्बर
या फिर नदी का अनंत समंदर
तेरी हर नेमत, तेरी दी हर सांस का
आख़िर ऐसा क्या नज़राना करूं
दुनिया में उतने लफ्ज़ ही नहीं
जिनसे बा-अदब़ मैं तेरा शुकराना करूँ...
© Gauri_🎶
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