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लिखना चाहता हुं....
अपनी कविता में, मैं वो मुलाकात लिखना चाहता हुं।
जो फिर मुझे तुमसे मिलाए, वो हालात लिखना चाहता हुं।
मिले जब हम तो भीग जाए आंखे आंसुओ में,
इस कदर वो प्यार भरी बरसात लिखना चाहता हुं।
थाम ले वक्त भी इस कदर खुद को हमारे लिए,
जो कभी खत्म न हो वो दिन, वो रात लिखना चाहता हुं।
जो कहना है बस आंखो से कह देना फिर,
मैं लबों को हमारे बे-बात लिखना चाहता हुं।
© Nick's_Thoughts
जो फिर मुझे तुमसे मिलाए, वो हालात लिखना चाहता हुं।
मिले जब हम तो भीग जाए आंखे आंसुओ में,
इस कदर वो प्यार भरी बरसात लिखना चाहता हुं।
थाम ले वक्त भी इस कदर खुद को हमारे लिए,
जो कभी खत्म न हो वो दिन, वो रात लिखना चाहता हुं।
जो कहना है बस आंखो से कह देना फिर,
मैं लबों को हमारे बे-बात लिखना चाहता हुं।
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