...

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ये कैसी धुंध है उसके यादों का ये कैसा बादल है !!
वक्त का पहिया मोडे मुड़ता नहीं है
वो एक शख्स मेरे जहन से उतरता नही है
और वो बस रहा है यहीं कहीं अंदर मेरे घरौंदा बनाके
जो खत डालो तो जवाब आता है वो अब वहां बसता नही है
और ये नजर है मेरी जो बस उसे तलाश करती है
कहां है वो कैसा है उसकी खैरियत का सवाल करती है
और ये कैसी धुंध है उसकी यादों का ये कैसा बादल है
जो आंखों में रहता भी है मेरी और बरसता नही है
और कुछ खूबी तो मेरे दिल की भी होगी यारों
जो तकलीफ में तो है पर तरसता नही है
और हैं शिकवे कई शिकायतें है उससे
पर आबरू में उसकी बदनामी के फतवे ये पढ़ता नही है
और झुकता तो रोज है ये अपने खुदा के आगे सजदे के खातिर
पर उसके हक में ये बद्दुआ पढ़ता नही है ।।
© Aryman Dwivedi

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