!! एक घड़ी दो घड़ी मे दोपहर हो गई !!
@Rj@
@Emotional@
👀
@Words@
Dil. Ki. Baat.........
💝
Tanhai. Ke. Sath.........
@Raam.Jaane@
एक घड़ी दो घड़ी मे दोपहर हो गई !!
जिंदगी मेरी जाने कहा खो गई !!
एक पहरा हुआ दिल मैं हारा हुआ !!
देखते देखते बो नजर भी ना जाने कहा सो गई !!
एक घड़ी दो घड़ी मे दोपहर हो गई !!
मैंने ढोंढा बहुत सब से पुछा बहुत !!
एक चांदनी थी मेरी जो अभी ना जाने कहा गुम हो गई !!
एक घड़ी दो घड़ी मे दोपहर हो गई !!
मैं जागा रहा रात ढलती रही!!
देखते देखते जब सहर हो गई !!
मैंने सोचा भी था जाके ढूंढो उसे !!
बो जो आँखे मिला कर एक पल मे ऐसे जुदा हो गई !!
एक घड़ी दो घड़ी मे दोपहर हो गई !!
मैंने खत भी लिखें दिन गुजरते गए !!
लोग हस्ते रहे मैं हसाता रहा !!
नग्मे बो यादो के गुनगुनाता रहा !!
पर ना जो तू मिली दिल की मुरझाई जब बो कली ना खिली !!
होके मायूस लौटे जब उस दरवार से !!
जहाँ बिन मांगे मिलता हो अम्बार से !!
तब लगा जैसे किस्मत ही हमसे बे बफा हो गई !!
एक घड़ी दो घड़ी मे दोपहर हो गई !!
साल बीते ज़रा हाल ऐसा हुआ !!
सांस थमने लगी धड़कने सो गई !!
तेरी डोली उठी मेरी लोगी ने जगहसाई करी !!
मैंने रब से फिर एक ही दुहाई करी !!
जैसे तरसा हूँ मै आँखों के जाम को !!
उसकी जुल्फों की दिलकश हँसी शाम को !!
बो भी अपने किये की सज़ा यू भरे !!
खुशियाँ उसको मिले गम मै सह जाऊंगा !!
बात इतनी सी हैँ जो मैं कह जाऊंगा !!
उसको महफ़िल मिले मुझको वीरानियाँ !!
बो सोये हर पल गुलिश्तां मे
मेरे हिस्से मे तन्हाईया !!
और मेरी चाहत बस यही हैँ सनम !!
तुम सैर फूलो की करो हमारी तो जिंदगी पतझड़ सी हो गई !!
एक घड़ी दो घड़ी मे दोपहर हो गई !!
GooD
NighT
@R.J@
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© RJ
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एक घड़ी दो घड़ी मे दोपहर हो गई !!
जिंदगी मेरी जाने कहा खो गई !!
एक पहरा हुआ दिल मैं हारा हुआ !!
देखते देखते बो नजर भी ना जाने कहा सो गई !!
एक घड़ी दो घड़ी मे दोपहर हो गई !!
मैंने ढोंढा बहुत सब से पुछा बहुत !!
एक चांदनी थी मेरी जो अभी ना जाने कहा गुम हो गई !!
एक घड़ी दो घड़ी मे दोपहर हो गई !!
मैं जागा रहा रात ढलती रही!!
देखते देखते जब सहर हो गई !!
मैंने सोचा भी था जाके ढूंढो उसे !!
बो जो आँखे मिला कर एक पल मे ऐसे जुदा हो गई !!
एक घड़ी दो घड़ी मे दोपहर हो गई !!
मैंने खत भी लिखें दिन गुजरते गए !!
लोग हस्ते रहे मैं हसाता रहा !!
नग्मे बो यादो के गुनगुनाता रहा !!
पर ना जो तू मिली दिल की मुरझाई जब बो कली ना खिली !!
होके मायूस लौटे जब उस दरवार से !!
जहाँ बिन मांगे मिलता हो अम्बार से !!
तब लगा जैसे किस्मत ही हमसे बे बफा हो गई !!
एक घड़ी दो घड़ी मे दोपहर हो गई !!
साल बीते ज़रा हाल ऐसा हुआ !!
सांस थमने लगी धड़कने सो गई !!
तेरी डोली उठी मेरी लोगी ने जगहसाई करी !!
मैंने रब से फिर एक ही दुहाई करी !!
जैसे तरसा हूँ मै आँखों के जाम को !!
उसकी जुल्फों की दिलकश हँसी शाम को !!
बो भी अपने किये की सज़ा यू भरे !!
खुशियाँ उसको मिले गम मै सह जाऊंगा !!
बात इतनी सी हैँ जो मैं कह जाऊंगा !!
उसको महफ़िल मिले मुझको वीरानियाँ !!
बो सोये हर पल गुलिश्तां मे
मेरे हिस्से मे तन्हाईया !!
और मेरी चाहत बस यही हैँ सनम !!
तुम सैर फूलो की करो हमारी तो जिंदगी पतझड़ सी हो गई !!
एक घड़ी दो घड़ी मे दोपहर हो गई !!
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