...

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ग़ज़ल


देखा जो इक नज़र तो, देखता ही रह गया
तेरे हुस्न पे ये आँखे, सेकता ही रह गया

था खुद पे ये ग़ुमा कि दिल, फिसलेगा ना कभी
इश्क़ की ज़ुबां के आगे, रेख्ता ही रह गया

असली और नकली में फर्क, न...