भटकाव
सोचता हूं-
इसमें - उसमें .. इनमें- उनमें...
इधर- उधर... यहां - वहां
की चाह क्यूं है ?
जब सब कुछ है अंतर्निहित
यहीं- मुझमें ही...
तो यह 'भटकाव' क्यों है ?
एक अर्से तक यह सवाल
ज़हन में...
इसमें - उसमें .. इनमें- उनमें...
इधर- उधर... यहां - वहां
की चाह क्यूं है ?
जब सब कुछ है अंतर्निहित
यहीं- मुझमें ही...
तो यह 'भटकाव' क्यों है ?
एक अर्से तक यह सवाल
ज़हन में...