...

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।। जागो सरकार ।।
पत्थर दिल नेता ना करो राजनीति
देखो समझो मजदूरों की आपबीती
कितना है भूखा कहां है सोता
देख उनकी हालत रब भी है रोता
टांगें टांगें गठरी चल पड़ा डगर डगर
चाहे भूख सताए या गर्मी का कहर
हो दिन या हो रात का पहर
बढ़ चला लेकर सपने अपनी डगर
आंखों में नींद भी सताए अगर
फिर भी नहीं थमता उसका सफर
क्यों है कोरोना से भी भारी
ना समझे कोई उसकी लाचारी
सोई है सरकारें ना जाने कब तक जागेंगी
ना जाने कितने मजदूरों का शव लेकर भागेगी